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४२] मुंबईप्रान्त के प्राचीन जैन स्मारक । वर्णन हुइनसांगने ७वीं शदीमें किया है । तथा कुछ सुन्दर जैन मंदिर गिरनार और सेधुंजय पर्वतपर है। घूमलीमें जो पहले जेठवा लोगोंकी राज्यधानी थी बहुतसी खडित प्राचीन इमारते हैं।
(१) पालीतानाराज्य-सेव॒ञ्जय पर्वत-मालूम हुआ है कि सौराष्ट्रमें गोहेल सरदारोंके वसनेके पहलेसे ही जैन लोग सेब्रुनय पर पूजा करते थे। शाहज़ादे मुरादबक्शने सन् १६५० में एक लिखित पत्रसे पालीतानेका ज़िला शांतिदास जौहरी और उसके संतानोंको दिया था। शांतिदासकी कोठीसे मुरादबख्शको युद्धके लिये रुपया दिया गया था जब वह दाराशिकोहसे आगरामें लड़ने गया था। मुगलराज्यके नष्ट होनेपर पालीताना गोहेलके सरदारोंके हाथमें आ गया जो गायकवाड़के नीचे रहते थे। यह सर्व पहाड़ धार्मिक है यहां जैन श्रावक हरवर्ष यात्रा करते हैं। यहां श्री युधिष्ठिर, भीमसेन और अर्जुन ये तीन पांडव मोक्ष प्राप्त हुए हैं व आठ कोड़ मुनि भी । इसी लिये जैन लोग पूजते हैं।
दि. जैन आगममें प्रमाण यह हैपांडुसुआ तिण्णि जणा दविडणरिंदाण अट्ठकोड़ीओ। सेत्तुनय गिरि सिहरे णिव्वाणगया णमो तेसिं ॥ ६ ॥
(प्राकृत निर्वाणकांड )
भाषा
पांडव तीन द्रविड़ राजान । आठ कोड़ मुनि मुक्ति प्रमाण । श्री सेतुंनयगिरिके शीस । भावसहित वन्दों जगदीश ॥ ७ ॥
( भगवतीदास कृत) .