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भरुच जिला।
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(६) भरुच जिला । इसकी चौहद्दी यह है । उत्तरमें माही नदी, पूर्व में बड़ौधा और राजपीपला, दक्षिणमें कीन नदी, पश्चिममें खंभात खाड़ी। यहां १४६७ वर्ग मील स्थान है । इसका प्राचीन नाम भृगुकच्छ है । इसका इतिहास यह है कि यह एक दफे मौर्य राज्यका भाग था जिसका प्रसिद्ध राजा महाराज चन्द्रगुप्त ( नोट-जो जैन धर्मी था) यहां शुक्लतीर्थपर आकर वास करता था । मौर्योसे शाहोंके पास गया जिनको पश्चिमीय क्षत्रप कहते थे फिर गुर्जर और राजपूतोंने फिर कल्याणके चालुक्योंने बादमें राष्ट्रकूटोंने आधिपत्य किया। फिर यह अनहिलवाड़ाके राज्यमें शामिल होगया । पीछे सन् १२९८ में मुसल्मानोंने कब ना किया ।
(१) भरुच शहर-यहां जैन, हिंदू, व मुसल्मानोंकी कारीगरीकी बढ़िया इमारतें शहरमें मिलेंगी, उनमें सबसे प्रसिद्ध जम्मामसजिद है जो जैन रीतिसे चित्रित और शोभित की गई है इसमें जो खम्भे हैं वे सब प्राचीन जैन और हिन्दू मंदिरोंसे लिए गए हैं। तथा जहां यह मसजिद है वहांपर पहले जैन मंदिर था । इसमें ७२ खभे नक्काशीदार हैं। गुम्बन और उसकी पत्थरकी छतें जैनियोंके ढंगकी हैं।
यहां नीचे लिखे प्रसिद्ध जैन मंदिर हैं
(१) श्री आदिश्वर भगवानका मंदिर वीनलपुर पट्टीमें यह सन् १८६९ में बना था। फर्श संगमर्मरका है।
(२) श्री मुनि सुव्रत भगवानका मंदिर पाषाणका जिसमें नक्काशी व चित्रकारी सन् १८७२ में की गई थी।