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१४] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक ।
(५) पंचमहाल ज़िला। इसके दो भाग हैं । पश्चिमीय भागकी चौहद्दी है । उत्तरमें राज्य लूनवाड़ा, संथ व संजीली, पूर्वमें वारिया राज्य, दक्षिणमें बड़ौधा, पश्चिममें बड़ौधा राज्य, पांड महवास और माही नदी । पूवीर्य भागकी चौहद्दी है । उत्तरमें चिलकारी, व कुशलगढ़ राज्य, पूर्वमें पश्चिम मालवा, दक्षिणमें पश्चिम मालवा, पश्चिममें सुन्थ, संजीली, वारिया राज्य ।
इसमें १६०६ वर्ग मील स्थान है
यहां पावागढ़ पहाड़ बहुत प्रसिद्ध जैनियोंका तीर्थ है-यहांसे 'ध्यान करके इस कल्पकालमें श्री रामचन्द्रनीके पुत्र लवकुश तथा पांच कोड़ मुनि मोक्ष पधारे हैं । पर्वतपर प्राचीन जैन मंदिर हैं। नीचे भी मंदिर व धर्मशालाएं हैं।
इसका आगम प्रमाण यह है-..... गाथा
रामसुवा वेणि जणा, लाडरिंदाण पंचकोडीओ। पावागिरिवरसिहरे, णिवाणगया णमो तेसि ॥ ५॥
(निर्वाणकांड प्राकृत) दोहा-रामचन्द्रके सुत दैवीर, लाइनरिंद आदि गुणधीर । पांच कोड़ि मुनि मुक्ति मंझार, पावागिरि वंदों निरधार ॥६॥
(निर्वाणकांड भगवतीदासकृत रचा सं० १७४१ ।) यह गोधरासे दक्षिण २५ मील व बड़ौधासे पूर्व २९ मील है। यह पहाड २६ मीलके घेरेमें है । समुद्र तहसे २५०० फुट ऊंचा