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________________ १५४ ] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । दानके समय राजाने श्री माघनंदि सिद्धांतदेवके शिष्य माणकनंदि पंडितके चरण धोए थे । इस दानको सर्व करसे मुक्त कर दिया गया | नोट - यहां के दोनों लेखों की नकल दि० जैन डाइरेक्टरीमें ढ़ी हुई है | नोट - क्षुल्लकपुर - कोल्हापुरका दूसरा नाम है । मनी ग्राममें जो शाका १०७३ला लेख शिलाहार राजा विजयादित्यका है उसका भाव यह है जैन मंदिरके द्वारपर लेख है। संस्कृत भाषा पुरानी कनड़ी है। ४४ लाइन हैं । इसमें लिखा है कि राजाने चोहोर - कानगावुन्ड के पास ग्रामके श्री पार्श्वनाथ भगवानके जैन मंदिरकी अष्टद्रव्य पूजा व मरम्मत के लिये नाक गेगोला जिलेके भुदरग्राममें एक खेत और घर दान किया । श्री कुंदकुंदान्वयी श्री कुलचंद्र मुनिके शिष्य श्री माघनंदि सिद्धांतदेव के शिष्य श्री अर्हनंदि सिद्धांतदेवके चरण धोकर ( Epigraphics Indica III ) कोल्हापुर राज्यमें यह बड़े महत्त्वकी बात है कि वहां जैन किसान ३६००० हैं । ये बहुत प्राचीन कालके बसे हुए हैं । पहले यहां जैनोंका बहुत प्रभाव था इसके ये चिन्ह हैं । ये बड़े शांतप्रिय व परिश्रमी हैं । Kolhapur is remarkable in large number of Jain Cultivators ( 36000 ) who are cvisidence of former predominance of Jain relic in scuth Marhatta country They are peaceful and Industrious peasentry. (P. 51) Infi. Gaz, 1908 Vol 11 Bombay. कोल्हापुर - गजेटियर में लिखा है कि यहांके जैन बडे निय -
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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