SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 161
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कोलाबा जिला। [१४५ मांस नहीं लेते थे, तथा इन लोगोंमें बहुत आश्चर्यकारक नियम हैं। कंबे (खभात) में इन्होंने लंगडे कुने व बिल्लियोंके लिये व चिड़ियोंके लिये अस्पताल बनादिये थे ये लोग चींटियों तकको भोजन देते थे। फ्रेंच यात्री फॅब्कन पैरर्ड (१६०१-१६०८) ने यहांका हाल देखकर लिखा है ( Bruce's Anal I 125 ) कि यहां बुननेका बहुत बड़ा शिल्प है, बहुत सुन्दर रुईके सुत मिलते हैं। चीनके रेशमसे भी बढ़िया रेशमका सामान बनता है। गोवामें यहांका माल बहुत खपता है । उत्तर पूर्वको बौद्ध गुफाएं हैं । (२) गोरेगांव-मनगांव तटमें बन्दर-दासगांवके उत्तर पश्चिम ६ मील बौद्ध गुफाएं हैं। (३) कुड़ा गुफाएं-मानगांवके उत्तर-पश्चिम १३ मील कुड़ा ग्राम है। राजपुरी तटसे उत्तरपूर्व २ मील । यहां बौद्धोंकी २६ गुफाएं हैं। छठी गुफामें ५ लेख ५वीं या ६ठी शताब्दीके हैं शेष गुफाएं पहली शताब्दी की हैं। सबसे पुरानी गुफा लेख यह है। ___" एक गुफा बनानेका दान किया सिवमाने जो लेखक शिवभूतका छोटाभाई था जो सुलाशदत्तके पुत्रोंमें थे उसकी स्त्री उत्तरदत्ता थी। ये महामोज मान्दव खंडपलीताके सेवक हैं जो महा भोज सदागिरि विजयका पुत्र है । चट्टानपर खुदाई कराई शिवमाकी स्त्री विजयाने और उसके पुत्र सुलासदत, शिवपालिता, शिवदत्त, सपिलने, खभे बनवाए उसकी कन्याओंने सपा, शिवपलिता, शिवदत्ता और सुलासदत्ताने।" (४) महाड-सावित्री नदीके दाहने तटपर, बांकटसे पूर्व ३४ मील । यह दासगांवसे ( मील एक बंदर है । प्राचीन नाम
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy