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मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक ।
लेख है कि इस राजा पुरुषाओंने अर्थात् सदाशिव और वल्लालने बौद्धों को परास्त किया । तीसरा लेख सन् १९९८ का जैन मठमें सुद्धिपुर के सदाशिव राजाका है ।
(७) उलवी - ग्राम ता० हलियल । यहां बहुत प्राचीनकालके कुछ मंदिर हैं ।
(८) विदरकन्नी या वेदकरनी - विलगी से सिद्धापुरको जाते हुए सड़कपर एक छोटा जैन मंदिर है जिसमें बहुतसे पाषाण नकाशीके हैं ।
(९) विलगी - सिद्धपुरसे पश्चिम पांच मील | यहां महत्वकी वस्तु श्री पार्श्वनाथजीका जैन मंदिर है। इसका जीर्णोद्धार सन् १६५० में राझप्पराजाके पुत्र जैनकुमार घंटेवादियाने कराया था । इसमें श्री नेमिनाथ, पार्श्वनाथ और श्री महावीरजी की मूर्तियें स्थापित कीं । यह मंदिर बहुत बढ़िया नक्काशीका है । तथा द्राविडी ढंगका है। जैसा पश्चिम मैसूरके हलेविड या द्वार समुद्र में होयसाल वल्लाल मंदिर विष्णुका है । दो शिलालेखों में वर्णन है कि नौ ग्राम तथा चावल दान किये गए ।
विलगीका प्राचीन नाम श्वेतपुर था। ऐसा कहा जाता है कि इसको जैन राजा नरसिंहके पुत्रने स्थापित किया था जो विलगीसे पूर्व ४ मील होसूरमें १५९३ के अनुमान राज्य करता था । कहते हैं श्री पार्श्वनाथ मंदिरको नगर वसानेवाले जैन राजाने बनाया था । श्री पार्श्वनाथ मंदिरके द्वारके भीतर दो बड़े शिलालेख ६ फुट शाका १५१० व ६ || फुट शाका
१९५० के हैं ।
(१०) हादवल्ली - भटकलसे उत्तर पूर्व
मील। यहां
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