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मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक ।
चालुक्य राजाओंका मुख्य नगर रहा है। प्राचीन शिलालेखमें इस नगरका नाम “आर्यपुर" या आय्यवले मिलता है । सातवीं व आठमी शताब्दीमें यह पश्चिमी चालुक्योंकी राज्यधानी थी।
यहां एक जैन गुफा है जिसकी कोई फिक्र नहीं लेता है ( uncare for ) मेधुती दि० जैन मंदिरमें जो शिलालेख है उससे विदित है कि यह मंदिर सन् ई० ६३४ में किसी रविकीतिने चालुक्य राजा पुलकेशी द्वि०के राज्यमें बनवाया था। मंदिर उत्तरकी तरफ है। जो यहां वीरुपक्षका मंदिर दक्षिण मुख है निसमें लिंग स्थापित है यह मूलमें जैन मंदिर होगा। इस मंदिरके सामने प्राचीन जैन मंदिर है । चरन्ती मठमें जैन मंदिर हैं मेघुती मंदिरमें एक विशाल जैन मूर्ति है-यह मंदिर सबसे प्राचीन मंदिर है ( It is eartist date: t . ) जैन गुफाके ऊपर बहुतसे कमरे ध्यानके हैं-(वीजापुर गनटियर)।
मेघुती दि. जैन मंदिरका प्रसिद्ध लेख । "Indian antiquary Vol. V 1896 Page 67."
में इस लेखकी नकल दी हुई है सो उल्था सहित नीचे प्रमाण है
इस पाषाणकी ५९॥ इंच चौडाई व २६ इंच ऊंचाई है यह चालुक्य बंशका लेख है। इन दक्षिणी भागोंमें यह लेख मवसे पुराना व सबसे अधिक महत्वका है ।
(Oldest one and most important of all the stone tablest' of these parts.