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१०] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । होगी। ऊपर जाकर मेघुतिका प्रसिद्ध दि० जैन मंदिर दर्शनीय है, यह लम्बाईमें ५२ हाथ है। मंदिरके चारों तरफ बड़ा मैदान है । इसकी दाहनी तरफ भीतपर एक शिलालेख पुरानी कनड़ी लिपिमें बहुत बड़ा ऐतिहासिक है जो ५ फुट लम्बा व २ फुट चौड़ा है। यह लेख संस्कृत भाषामें है इसकी नकल व इसका उल्था आगे दिया गया है । मंदिरके भीतर जाकर वेदीमें खंडित दि. जैन मूर्ति पल्पकासन तीन हाथ ऊंची है दो इन्द्र दोनों तरफ हैं, दोनों तरफ सिंह बना है । बीचकी वेदीके पीछे १ गुफा है व १ गुफा बगलमें है, यह मुनियोंके ध्यान करनेके योग्य है ।
मंदिरके ऊपर वेदी है, सिंह चिन्ह है प्रतिमा नहीं है । मंदिरके बाहर चित्रकारीमें हाथी व देव आदि निर्मित हैं।
आगे थोड़ी दूर जाकर दि जैन गफा आती है जो बहुत ही बढ़िया शिल्पको बताती है व जहां प्राचीन द जेन मूर्तियां दर्शनयोग्य हैं।
__सामने वेदीमें पल्यंकासन श्री महावीरस्वामीकी मूर्ति ३ हाथ ऊंची अखंडित है दोनों तरफ चमरेन्द्र हैं, व सिंह है, तीन छत्र सहित हैं । वेदीके द्वारपर दो इन्द्र हैं । वेदीके बाहर बीचके कमरेमें एक ओर महावीरस्वामीकी मूर्ति ३ हाथ ऊंची पल्यंकासन चमरेन्द्र सहित--इस प्रतिमानीके दोनों तरफ २४ स्त्री पुरुष हाथ जोड़े खड़े हैं । कमरेके बाहर दालानमें एक तरफ श्रीपाश्वनाथजीकी कायोत्सर्ग मूर्ति ३॥ हाथ ऊंची धणेन्द्र पद्मावती सहित हैं पासमें एक गृहस्थ हाथ जोड़े खड़े है । बांई तरफ श्री गोमटस्वामीकी कायोत्सर्ग मूर्ति है ३॥ हाथ ऊंची यक्ष यक्षिणी सहित । ये सस