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________________ लेखाकः-८५ प्राग्वाटज्ञातीय ठ० श्रीचंडप ट० श्रीचंडप्रसाद महं० श्रीसोमान्वये ट० श्रीआसराजसुत महं० श्रीमल्लदेव महं ० श्रीवस्तुपालयोरनुजमह० श्रीतेजपालेन कारितश्रीलूणसीहवसहिकायां श्रीनेमिनाथ (:) देवचैत्यजगत्यां श्रीचंद्रावतीवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० वीरचंद्र भार्या श्रियादेवि पुत्र श्रे० साढदेव श्रे० छाड श्रे०साहदेव भार्या मात्र आसल श्रेजेलण जयतल जसधर श्रे० छाडभार्याथिरदेवि पुत्र घांघस श्रे० गोलण जगसीह पाल्हण तथा श्रेलण पुत्र श्रे० समुद्धर)० जयतल पुत्र देवधर मयधर श्रीधर आंबड ||() जसपर पुत्र आसपाल । तथा श्रे० गोलण पुत्र वीरदेव विजयसीह कुमरसीह रत्नसीह जगसीह पुत्र सोमा तथा आसपाल पुत्र सिरिपालविजयसीह पुत्र अरसीह श्रीधर पुत्र अभयसीह तथा श्रे० गोलणसमुद्धर प्रमुख कुटुंबसमुदायेन श्रीशान्तिनाथदेवविध कारितं पतिप्ठितं नवांगवृत्तिकारश्रीअभयदेवमूरिसंतानीयः श्रीधर्मघोपम. रिभिः ।। (८५) ई० । स्वस्ति श्रीनृपविक्रमसंवत् १२९३ वर्षे चैत्र यदि ८ ___ शुक्रे अग्रेह श्रीअर्बुदाचलमहातीर्थ अणहिल्लपुरवास्तव्य श्रीमा ग्वाट जातीय ट० श्रीचंडप ट. श्री चं(*)डप्रसाद महं० श्रीसोमा. न्वये ठ० श्रीआसराजसुत महं० श्रीमदेव महं श्रीवस्तुपालयोरनुज महं० श्रीतेजपालेन कारित श्रीलूणसीयसहि(*)कायां श्रीनमिनाथदेवचैत्ये जगत्यां चंद्रावतीवास्तव्य माग्वाटतातीय महं। काउडि सुत थे० साजणेन स्थापित व्यक सुत भात वरदेव । कडआ। धाम (2) देव । सीहड । तया मावन आसपालमभनि कदंब सहितन श्रीनागंद्रगञ् श्रीविजयनिरिमतिष्ठिनापम 13
SR No.010442
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages592
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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