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________________ प्रथम भाग। .. १३६ (६) भगवान् अजितनाथको स्त्रीका नाम सुनयानंदा था। (प. पु.) (७), सगर चक्रवर्तीकी माताका नाम सुबाला और पिताका नाम समुद्रविजय उत्तरपुराणकारने लिखा है और पद्मपुराणमें विनयसागर पिताका नाम व माताका नाम सुमंगला लिखा है । भाव देखनेसे पिताका नाम तो दोनोंके मवसे ठीक वैठ जाता है पर माताके नाममें अंतर रहता है। . (८) सगर चक्रवर्ती के विवाहके विषयमें पद्मपुराणमें लिखा है कि " भरतक्षेत्रके विजयाई पर्वतकी दक्षिण श्रणीके चक्रवाल नगरके राजा पूर्णवर विद्याधरने तिलक नगरके नरेश सुलोचनुकी कन्यासे विवाह करना चाहा, पर सुलोचनने उसे नहीं दी, सगर चक्रवर्तीको देना चाहा । इसपर दोनोंका युद्ध हुआ । मुलोचून युद्ध में मारा गया। तब सुलोचनका पुत्र सहस्रनयन अपनी बहिन उत्पलमतीके साथ भाग कर वनमें छिप गया । इधर । चक्रवर्तीको मायामई मश्व उड़ा कर उसी वनमें नहीं सहस्त्रनयन छिपा था, ले गया। वहाँ सहस्त्रनयनने उत्पलमतीके साथ सगरका विवाह किया। यही उत्पलमती सगर चक्रवर्तीका स्त्रीरत्न थी। परिशिष्ट "झ”। विद्याधर। . इस पुस्तक पहिले पाठमें भरतक्षेत्रके मानचित्रमें मो विनयाई पर्वत दिखलाया गया है उसके ऊपर दक्षिण और उत्तरकी श्रेणी में रहनेवाले मनुप्य विद्याधर कहलाते थे। ये प्राय
SR No.010440
Book TitlePrachin Jain Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages143
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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