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________________ 8 प्राचीन जैन इतिहास | पाठ दूसरा । - जैनधर्मानुसार पृथ्वी के इतिहासके प्रारंभका समय । वर्तमान के इतिहासकारों का कहना है कि पहिले हिंदुस्थानमें अनार्य जातिया बसती थीं। पीछे फारस आदि अन्य देशोंसे आर्य जातिया हिंदुस्थान में आई । पहिले पहिल कौनसी जाति, कहांसे और किस समय हिदुस्थानमें आई इस बातका पता ये लोग अभी तक नहीं लगा सके हैं। पर इनका कहना है कि सबसे पिछली आर्य जाति क्राइष्टके पंद्रहसो वर्ष पहिले आई थी । और कई तो इस समयसे भी पहिले आना मानते हैं । इन लोगोंके कहने के अनुसार 'हिन्दुस्थानमें जो अनाये जातियां थीं वे कोल और द्राविड इन दो बड़े कुलोंमेंसे थीं। इनमेंसे कोल जाति चौपाये नहीं पालती थी। मांस खाती थी। अपने पितरों और भूतोंकी पूजा करती आनेवाली जातियोंमें बहुतसे कोल इस तरहसे मिल गये हैं कि अव उनका पहिचानना कटिनसा है । वर्तमानमें कोनोंकी बारह जातिया और उनकी तीस लाख मनुष्य संख्या है। द्राविड़ जाति भी करीब करीब इसी प्रकारकी थी । परन्तु उसमें सभ्यता अधिक थी। अभी तक इतिहासकार द्राविड़ोंकी सभ्यताको जितनी प्राचीन समझते थे, अब थोड़े दिनोंसे उससे भी अधिक प्राचीन समझने लगे हैं। इन लोगोंका कहना है कि पहिले तो ये लोग मार्च जातियोंसे लड़े, पर पीछे दोनों जातियां हिल मिल थी । भारतवर्ष में I
SR No.010440
Book TitlePrachin Jain Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages143
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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