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________________ प्रथम भाग । १३० कि विजय चक्रवर्ती करता है । इसका वर्णन भरत चक्रवर्तीके पाठ किया गया है वहाँ देखना चाहिये । (घ) चक्रवर्ती की संपत्ति - भरत चक्रवर्ती के पाठ में जो वताई गई है - होती है । प्रत्येक चक्रवर्तीकी उतनी ही संपत्ति समझना चाहिये । (ङ) प्रत्येक चक्रवर्ती में छह खंडके सम्पूर्ण प्राणियोंके बल से कई गुनवल होता है । (च) चक्रवर्तियों के शरीर में चौंसठ लक्षण होते हैं। (२) बलदेव: (क) बलदेव नारायण के बड़े माई होते हैं । यद्यपि नारायण और वलदेव एक ही पिताके पुत्र होते हैं, पर मातायें दोनोंकी न्यारी न्यारी होती हैं । (ख) बलदेवके लिये चार रत्न उत्पन्न होते हैं । इनके नाम विजय नामक पहिले बलदेवके वर्णनसे जानना चाहिये जो कि पाठ चौवीस में दिया गया है । W (ग) बलदेव और नारायणमें दूसरोंमें न पाया जाय ऐसा परस्पर प्रेम होता है । (घ) नारायण के मरने पर चलदेव उसके शवको छह महीने लेकर इधर-उधर फिरते हैं । उस वक्त वे समझते हैं कि भाई नाराज हो गया है । (ड) इनके भी मल मूत्र नहीं होता । (३) नारायण (क) इनके शरीर में भी मल-मूत्र नहीं होता ।
SR No.010440
Book TitlePrachin Jain Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages143
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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