SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 130
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२३ मार्चान जैन इतिहास १ गभ कल्याणक उत्सव(क) गर्भमें आनेके छह माह पहिलेसे इन्द्रादि देवों द्वारा प्रतिदिन तीन वार साड़े दश करोड़ रस्नोंकी वर्षा होना। (ख) पंद्रह मास पहिलेसे जन्म नगरकी विशाल रूपसे सुदरता पूर्वक देवों द्वारा रचना होना. और उसमें माता-पिताके लिये रानभवनका देवों द्वारा बनना। (ग) भगवान्के गर्भ में मानेपर इन्द्रादि देवों द्वारा नगरकी प्रदक्षिणा देना। (घ) गर्भ में आनेके पहिले देवियों द्वारा माताका गर्भ संशो धन होना और गर्भमैं मानेपर देवियों द्वारा माताकी सेवा होना। (ड) गर्ममें अन्य बालकोंकी भाति उलटे न रहकर सीधे ___ रहना (सिंहासनपर)। (च) माताका सोहल स्वैम देखना। (छ) माता-पिताका अभिषेक देवों द्वारा होना । २ जन्म कल्याणक उत्सव(क) मतिज्ञान, श्रुतज्ञान और अवधिज्ञान युक्त उत्पन्न होना। (ख) जन्म होनेपर स्वर्गमें इस भाति घटनायें होना। १ कल्पवासी देवोंके यहाँ स्वयमेव घंटोंका बनना। २ ज्योतिषियोंके यहाँ सिंहनादका स्वयमेव होना । १ सोलह स्वप्न महाराज नाभिगयके पाठ पाचवेनें बतलाये गये हैं ये ही सोल स्वप्न तीर्थंकरोंकी माताओंको आते है। - - - - - -
SR No.010440
Book TitlePrachin Jain Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages143
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy