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________________ ११७ प्राचीन जैन इतिहास। पाठ सत्तावीसवा । . नारायण-हिपृष्ठ और बलदेव-अचल । (१) भगवान् वासपूज्यके समयमें द्वितीय नारायण और द्वितीय-बलदेव-नारायण हिपृष्ठ ( दूसरे नारायण ) और बलदेव अचल उत्पन्न हुए। - (२) ये दोनों भाई थे । द्विष्टष्ट छोटे और अचल बड़े भ्राता थे। (३) इनके पिता द्वारिका पुरीके राजा ब्रह्म थे । जिनकी सुभद्रा नामक महारानीसे अचल उत्पन्न हुए थे और दूसरी पूषा नामक रानीसे द्विष्टष्ठका जन्म हुआ। (४) नारायण द्विपृष्ठकी आयु वहत्तर लाख वर्षकी थी। और शरीर सत्तर धनुष ऊँचा था। (७) अचलका वर्ण कुंदके पुप्प समान सुंदर और डिप्टष्ठका नीला था। (६) उनके समयमें प्रतिनारायण तारक तीन खंडका स्वामी हुआ था। जिसे युद्धमें जीतकर द्विष्ठ तीनखंडके स्वामी हुए । इन पर तारकने चक्र चलाया था पर चक्रने इनकी प्रदक्षिणा दी और दहिने हाथमें आकर ठहर गया तब इन्होंने उसे तारक पर चलाया जिससे तारककी मृत्यु हुई। ' (७) और नारायणों के समान इनके यहा भी सात रन थे और अचलके पास चार रत्न थे। (८) इनकी सोलह हजार रानिया थीं और चक्रवर्तीसे आधी संपत्ति और राज्य था।
SR No.010440
Book TitlePrachin Jain Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages143
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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