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________________ १०३ प्राचीन जैन इतिहास पाठ वीसवाँ । भगवान पुष्पदंत ( नौवें तीर्थकरः।), (१) भगवान् चंद्रमभक्के मोक्ष नानेके नव्वे करोड़ सागर बाद भगवान् पुष्पदंतका जन्म हुआ। (२) फागुन वदी नौमीके दिन आप गर्भमें आनेपर पूर्वकी तीर्थंकरोंकी माताओं के समान भापकी माताने भी सोलह स्वम्म देखे जिनका कि फल तीर्थंकरका उत्पन्न होना है। (३) आपके पिताका नाम सुग्रीव और माताका नाम जपरामा था। आप काकंदीपुरीके राजा थे। आपका वंश इस्चाकु और गोत्र काश्यप था। (४) मापका जन्म मार्गशीर्ष सुदी प्रतिपदाके दिन कार्कदीपुरीमें हुआ। जन्मसे ही माप तीन ज्ञानके धारी थे। इन्द्रादि देवोंने मेरु पर ले जाना, स्तुति करना आदि पूर्वके तीर्थंकरोंके समान जन्म कल्याणक उत्सव किया। ___ (५) आपके साथ खेलनेको स्वर्गसे देव आते थे । और वस्त्राभूषण भी स्वगसे आया करते थे । (६) आपकी आयु दो लाख पूर्वकी थी और शरीर एकसो धनुष ऊचा था। (७) पचास हजार पूर्व तक आप कुमार अवस्थामें रहे। (८) भापका भी विवाह हुआ था। (९) कुमारावस्थाके बाद आपने राज्य सिंहासनको सुशोभित किया और पचास हनार पूर्व अट्ठावीस पूर्वाग तक राज्य किया ।
SR No.010440
Book TitlePrachin Jain Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages143
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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