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दूसरा जन्म .
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तुम्हारे भाई ने क्रोध के आधीन होकर कैसा भयंकर दुष्कृत्य किया ? तुम उसे भली भाति जानते हो फिर भी स्वयं क्रोध से अंधे होकर, विकराल भावो से नर-संहार करने के लिए उद्योगशील हो रहे हो । भद्र, अव सावधान होत्रो। भविष्य का विचार करो । अधिक कुछ न कर सकते तो इतना अवश्य करो कि भविष्य में कभी मनप्य की हिंसा न करना। अपनी मर्यादा में यथाशक्ति श्रावक की भांति रहना।
हाथी ने अपना सिर हिलार इन प्रतिज्ञाओं के पालन करने की स्वीकृति दी । मुनि और हाथी का यह संवाद वगणा नामक हथिनी ने, जो पूर्व भव मे कमठ की पत्नी श्री, सुना और लुनते ही उसे भी जातिस्मरण ज्ञान उत्पन्न हो गया। जातिस्मरण, गतिज्ञान का ही एक भेद है और उनसे पूर्वजन्मो का स्मरण हो जाता है। यह ज्ञान आजकल भी हो सकता है और किसी रिनी को होता भी है । समाचारपत्रों के पाठको को नालन है कि