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________________ 71 समाज दर्शन मदिरो में परिवर्तित करा दिया गया है । अन्य कई स्थानो पर भी पल्लीवालो के दिगम्बर मन्दिर थे लेकिन आजकल श्वेताम्बर मदिरो में परिवर्तित करा दिये गये हैं। अलवर नगर में पल्लीवालो का एक दिगम्बर मदिर है। अलवर जिले के हरसाना, रामगढ, लक्ष्मनगढ, नौगावां तथा समौची में भी दिगम्बर जैन मदिर है। नौगावां का मन्दिर 400-500 वर्ष पुराना है। मण्डावर में भी एक दिगम्बर जैन मदिर है। अजमेर में एक दि. जैन मदिर है जिसका निर्माण कुछ वर्ष पूर्व ही हुआ है। मुरैना क्षेत्र मे पल्लीवालो द्वारा निर्मित कई जैन मदिर है, ये सभी दिगम्बरी है। मुरैना के अतिरिक्त बामौर, रेहट तथा मोहना मे भी दि० मदिर हैं। मुरैना से 24 कि मी दूर जौरा नामक ग्राम में भी पल्लीवालो का एक दि. जैन मदिर है । जौरा से 8 किमी दूर घने जगलो मे अत्यधिक प्राचीन दि. जैन मूर्तियाँ है जिनकी देखभाल बहुत समय से पल्लीवालो द्वारा की जाती रही है। जौरा से ही 6 कि मी परसौटा नामक ग्राम मे पल्लीवालो का एक प्राचीन दि० जैन चैत्यालय है जिसमे प्राचीन मूर्तियाँ विराजमान है। परसोटा ग्राम मे ही पल्लीवाल समाज के अधिप्ठाता की गद्दी है। इसके अन्तिम अधिष्टाता श्री 108 भट्टारक करन सागर जी महाराज थे जिनका कुछ वर्ष पूर्व देहात हो गया। घर मे कुछ भी शुभ कार्य होने पर पल्लीवाल लोग यहाँ दान देने। चढावा चढाने जाते है। नागपुर (महराष्ट्र) मे पल्लीवालो के तीन दिगम्बर जैन मदिर हैं। इनमे से एक मदिर दो सौ वर्षो से भी अधिक पुराना है लेकिन इसकी मूर्तियां 500-600 वर्ष प्राचीन हैं ।
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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