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पल्लीवाल जैन जाति का इतिहास (12) दिवस्या, (13) धनवासी (धाती), (14) धुनेरिया, (16) नगेसुरया, (16) निहानिया, (17) पचोरिया, (18) पाडे, (19) पावटिया, (20) महेला, (22) रायसेनिया, (23) लखट किया, (24) लोहकरेरिया, (25) बडेरिया, (26) वरवासिया, (27) वारीवाल, (28) वेद-भगोरिया, (29) ब्यानिया, (30) बजारे, (31) समल, (32) सलावदिया, (33) सारग डग्या, (34) साले, (35) सैगरवासिया। ४. नागपुर (विदर्भ) क्षेत्र के पालीवालो के गोत्र
(1) वाईवाल, (2) नामक, (3) बिजाबरत, (4) धराईवाल, (5) डरेपूर, (6) पानीवाल, (7) थासु, (8) फरीवाल, भिमानी, (10) छामरनीवाल (11) बीदर, नन्दनीवाल । ५. संलवालो के गौत्र
(1) मालेश्वरी (मालेसरी), (2) आमेश्वरी, (3) अम्बिया, (4) राजेश्वरी ग्रादि।
६ जैसवालो के गोत्र
(1) वेद-वैराष्टक, (2) अगरस, (3) राजनायक, (4) श्याम-पाडिया आदि।
इन गोत्रो का विश्लेषण करने पर निम्न निष्कर्ष निकालते है -
(1) बहुत से गोत्रो का नामकरण विभिन्न ग्रामो अथवा स्थानो के नाम पर हुआ । जैसे-सलाबदिया, सैगरवासिया, काश्मीरिया, गुवालियर (ग्वालियरे), अकवरपुरिया, अगरैय्या, औरगाबादी, फिरोजाबादी, ग्वोहवान आदि।
(2) ऐमा लगता है कि कुछ वर्ग के लोग पहने एक ही गोत्र के अन्तर्गत पाते थे। कालान्तर मे जब उम गोत्र के लोगो की