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पल्लीवाल जैन जाति का इतिहास
जन तथा कचौड़ाघाट के पं० झुन्नीलाल जी मुख्य है। ___ श्री बाबुलाल जी (मनेपुरा, जिला प्रागरा) ने लगभग पच्चीस वर्ष पूर्व ब्रह्मचारी दीक्षा ग्रहण कर ली थी। वे वर्षों तक ब्रह्मचारी स्वरूपानन्द जी के नाम से उदासीन आश्रम इन्दौर मे रहे। आजकल आगरा मे रह रहे हैं।
नागपुर क्षेत्र के श्री विद्याधर जी उमाठे का नाम विशेष उल्लेखनीय है । आप स्वावलम्बी कॉलेज ऑफ ऐड्यूकेशन, वर्धा के प्राचार्य है। आपने कई शैक्षिक पुस्तके लिखी है। आप सामाजिक एवं धार्मिक कार्यो मे विशेष रुचि लेते है। आपने 'अनेकान्त प्रकाशन' नामक संस्था की स्थापना की, जिसके अन्तर्गत कई धार्मिक/आध्यात्मिक ग्रन्थो का प्रकाशन हया है।
राजनैतिक क्षेत्र मे भी कई पल्लीवाल बन्धु बहुत सक्रिय रहे हैं । वर्तमान मे सासद श्री जे० के० जैन का नाम विशेष उल्लेखनीय है। कई वैज्ञानिक भी इस जाति को सुशोभित कर चुके है । स्व० डॉ० पदमचन्द जैन, (पुत्र श्री दौलतराम जी, रुनकता (आगरा) निवासी 'सैन्ट्रल ड्रग रिसर्च इन्स्टीट्यूट,' लखनऊ के एक सुविख्यात वैज्ञानिक थे।