________________
समाज दर्शन
प्रारम्भ हुमा। इसके सपादक प चिरजीलाल जी थे। प्रारम्भिक वर्षों में यह पत्रिका त्रैमासिक थी। सन् 1934 में इसका मासिक प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। इस पत्रिका के सपादक क्रमश श्री हजारी लाल जैन, श्री प्रताप चन्द जैन तथा श्री सूरजभान जैन 'प्रेम' रहे । बाद में इस पत्रिका का सपादन कार्य क्रमश मा० रामसिह जैन, श्री नेमीचन्द बरवासिया तथा श्री गोधनदास जैन द्वारा किया गया।
इसके अतिरिक्त सन् 1940 मे 'पल्लीवाल बन्धु' का प्रकाशन किया गया। इसके सपादक श्री रोशनलाल जैन थे। सन् 1963 मे 'जैन-सगम' का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ, इसके सपादक श्री महावीर कोटिया थे। अन्ततोगत्वा इन सभी पत्रिकामो के प्रकाशन न्यनाधिक अवधि के पश्चात् बन्द हो गये।
सन् 1969 मे 'श्री अखिल भारतीय,पल्लीवाल जैन महामभा' के मुख-पत्र के रूप में 'पल्लीवाल जैन पत्रिका' का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। इसके प्रकाशन का शुभारम्भ मागरा से हुमा तथा इसके प्रथम सपादक मा० रामसिंह जैन थे। तत्पश्चात् इसका प्रकाशन जयपुर से हुप्रा तथा कुछ वर्षों बाद पुन: यह पत्रिका आगरा पा गई। आजकल इसका प्रकाशन मथुरा से हो रहा है ।
(4-13) जनगणना
समाज की जनगणना का प्रथम प्रयास सन् 1916 मे लाला बशीधर जी द्वारा किया गया। यह जनगणना एक वर्ष मे पूर्ण हुई। इस कार्य में लाला सूरजभान जी 'प्रेम' लाला गोपीलाल जी तथा मास्टर कन्हैयालाल जी का विशेष सहयोग रहा। सन् 1988 मे पल्लीवालो के परिवारों की अनुमानित संख्या लगभग 4000 है तथा कुल जनसख्या लगभग 20,000 है।