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रिणवाण' पउ
(रिणवाण) 2/1 (पन) 2/1 (दा) विधि 2/1 सक
=निरिण मे -पैर, कदम -रख
86
मूढा
जोवह देवलई लोहिं जाइ कियाइ
(मुढ) 1/1 वि (जोव) व 3/1 सक (देवल) 1/2 (लोय) 3/2 (ज) 1/2 सवि (किय) भूक 1/2 अनि
-देखता है -देवालय लोगो के द्वारा
=किये गये (बनाये गये)
| 2/1
पिच्छह अप्परिणय
जहि
अव्यय
नहीं (पिच्छ) व 3/1 सक
-देखता है (अप्पण+इय)2/1 वि 'इय' स्वा =अपनी अव्यय
-जहाँ (सिम) 1/1
=परम प्रात्मा (सत) 1/1 वि
=शान्त (ठिय) भूकृ 1/2 अनि ठहरा हुआ
सिउ
सतु
ठियाइ
87 देहादेवलि
सिउ वसई तुह देवलइ
=देहरूपी मन्दिर मे =परम प्रात्मा =बसती है
(देह-देहा)-(देवल) 7/1] (सिम) 1/1 (वस) व 3/1 अक (तुम्ह) 1/1 स (देवल) 212 (रिणय) व 211 सक (हास) 1/1 'अ' स्वार्थिक (अम्ह) 6/1 स
णिएहि
-मन्दिरो को -देखता है -हंसी मेरे
हासउ महु
कभी-कभी सप्तमी के स्थान पर द्वितीया का प्रयोग पाया जाता है (हे. प्रा व्या 3-137)
{ 71
पाहुडदोहा चयनिका ।