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परिवार-परिचय
स्वर्गीय श्री जमनालाल जी सोगाणी एव श्रीमती जडाव वाई सोगाणी के पुत्र श्री गोपीचन्द जी सोगाणी का स्वर्गवास 56 वर्ष की आयु मे दिनाक 28-10-62 को हो गया था। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मैना देवी सोगाणी, (पुत्री श्री लादूरामजी अजमेरा (वकील) एव श्रीमती वच्चा बाई अजमेरा) का स्वर्गवास 81 वर्ष की मायु मे 9-1-93 को हुआ।
श्री गोपीचन्दजी सोगाणी (वी ए., एल एल बी) (जन्म सन् 23 दिस 1906) के तीन भाई (श्री गुलाबचन्दजी, श्री कपूरचन्दजी एव श्री अनूपचन्दजी) व दो बहिनो मे एक श्रीमती रतन वाई थी व दूसरी श्रीमती लल्ली बाई है। श्री गोपीचन्दजी ने कुछ समय तक वकालत की और फिर सरकारी सेवा मे प्रवेश किया। वे इन्सपेक्टर रजिस्ट्रेशन एण्ड स्टैम्पस जयपुर के पद से सेवानिवृत्त हुए। वे सरल स्वभावी एव ईमानदार व्यक्ति थे
और सदैव अपने कुटुम्बीजनो को सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते रहते थे। उन्हें मास्टर मोतीलालजी सघी (सस्थापक, श्री सन्मति पुस्तकालय, जयपुर) पर वडी श्रद्धा थी। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मैना देवी सोगाणी (जन्म 19 जुलाई 1912) के एक भाई, श्री गोपीचन्दजी अजमेरा, एडवोकेट है व दो बहिनें (श्रीमती रतन वाई सेठी एव श्रीमती छोटी वाई पाण्ड्या) थी। श्रीमती मैना देवी सयमी, स्वाध्यायी, स्वावलम्बी व स्वाभिमानी महिला थी। वे परिश्रमी, कार्यकुशल व निर्भीक थी। उन्होने 30 वर्ष तक एक समय ही भोजन किया । आहार की शुद्धता का वे बहुत ध्यान रखती थी। मरण का आभास होने पर उन्होने आहार-पानी का त्याग कर समतापूर्वक शरीर छोडा।
उनके तीन पुत्र एव एक पुत्री हैं - पुत्र-1 डॉ. कमलचन्द सोगाणी
धर्मपत्नी श्रीमती कमला देवी सोगाणी एम ए, बी एससी., पीएच डी. (पुत्री स्व श्री उमरावमलजी ठोलिया, • सेवानिवृत्त प्रोफेसर दर्शनशास्त्र एव श्रीमती पालकीवाई ठोलिया,
सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर जयपुर निवासी) • ट्रस्टी श्री सन्मति पुस्तकालय, जयपुर • ट्रस्टी, दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी • सयोजक, अपभ्रश साहित्य अकादमी, जयपुर एव
जनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी