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भाउ
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हियडइ (हिय-अडा--हियडअ)7/1 =हृदय में
'अडग्र स्वार्थिक (मात्र)2/1
=प्रासक्ति को घरति (घर) व 3/2 सक
=रखते हैं सालिसित्यु (मालिमित्य) 1/1
-सालिसित्य जिम अव्यय
-जैसे वापुडउ (वप्पुडा+उ+वप्पुडउ)1/1 =वेचारा
वि (दे) (गर) 1/2
=मनुष्य गरयह (णरय)6/2
=नरकों मे णिवडति (रिणवड) व 3/2 अक =गिरते हैं प्रायइ2 (आय)7/1
=आपत्ति मे अडवड (अडवड) 1/1 वि
=प्रटपट वडवड (वडवड) व 3/1 अक =बडबडाता है पर अव्यय
=किन्तु रजिज्जइ (रज-रजिज्ज) व कर्म3/1 सक=खुश किया जाता है लोउ (लो) 1/1
=लोक मणसुद्धइ [(मण)-(सुद्ध)7/1 वि] =मन के कषायरहित होने पर णिच्चलठियइ (रिणच्चल) वि-(ठिअ) 7/1वि] =अचलायमान और दृढ होने |
पर पाविज्जइ (पाव) व कर्म 3/1 सक प्राप्त किया जाता है परलोउ [(पर) वि-(लोअ) 1/1] =पूज्यतम जीवन घघइ (घ) 7/1
=ध में पडियउ (पड-पडिय--पडियन) भूकृ =पडा हुआ
1/1 'अ' स्वार्थिक सयलु (सयल)1/1 वि
-सकल (जग) 1/1
=जगत
जगु
1 कनी कमी सप्तमी के स्थान पर पष्ठी का प्रयोग पाया जाता है-(हे प्रा व्या 3-134, 2 श्रीवास्तव, अपनश भाषा का अध्ययन, पृष्ठ, 1461
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( पाहुडदोहा चयनिका