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व्याकरणिक विश्लेषण एवं शब्दार्थ
-महान
-सूर्य
दियरु हिमकरण दीवउ
देउ
(गुरु) 1/1 वि (दिणयर) 1/1 (हिमकरण) 1/1 (दीवन) 1/1 (देश) 11 [(अप्प-→अप्पा)-(पर)6/2] (परपर) 6/2 (ज) 1/1 मवि (दरिस-→दरिसाव) व ने
3/1 सक (भेन) 2/1
-चन्द्रमा -दीपक =देव =स्व भाव और पर भाव की -परपरा के
प्रप्पापरह परपरह
दरिसाव
=समझाता है
ਮੇਰ
=भेद को
प्रप्पायत्तउ
-जो
[(अप्प)+ (आयत्तउ)] =स्वय के अधीन [(अप्प)-(प्रायत्त अ) भूक 1/1 अनि 'अ' स्वार्थिक] (ज) 1/1 सवि अव्यय
=भी (मुह) 1/1 (त) 3/1 स
-उससे अव्यय (कर) विधि 2/1 मक
=कर (मतोस) 2/1
=सतोष
करि संतोसु
1. ममान मे ह्रस्व का दीर्घ हो जाता है (हे प्रा व्या 1-4)।
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