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मूढा जोवइ देवलई लोर्याह जाई कियाई देह ण पिच्छ श्रप्पणिय जह सिउ सतु ठियाइ ||
देहादेवलि सिउ वसई तुहु देवलई रिएहि । हासउ महु मणि प्रत्थि इहु सिद्धे भिक्ख भमेहि ॥
जिणवरु झायहि जीव तुहु विसयकसायह खोड दुक्खु ण देक्खहि कह मि वढ अजरामरु पउ होइ ॥
इदियपसरु णिवारियइ मण जाणहि परमत्यु अप्पा मिल्लिवि णाणमउ अवरु विडाविड सत्यु ||
विसया चिति म जीव तुहुं विसय ण भल्ला होति । सेवंताहं वि महर वढ पच्छई दुक्खइ दिति ॥
भवि भवि दंसणु मलर हिउ भवि भवि करउ समाहि । भवि भवि रिसि गुरु होइ महू हियमणुब्भववाहि ॥
वेपथेह ण गम्मइ वेमुहसूई ण सिज्जए कथा । विणि रग हंति अपारणा इदियसोक्खं च मोक्ख च ॥
[ पाहुडदोहा चयनिका