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अपभ्रंश भाषा के ग्रंथ
(कारंजा जैन सीरीज़ में प्रकाशित) १ जसहरचरिड-पुष्पदन्तकृत । भूमिका, शब्दकोश और टिप्पणी सहित डॉ. पी. एल. वैद्य, एम्. ए., डी. लि., द्वारा सम्पादित । मूल्य ६)
हिन्दुस्तानी पत्रिका, यू. पी. 'ऐसी पुस्तके अपने देश में निकलती देखकर प्रत्येक भारतीय को
गर्व और उत्साह होना चाहिये। २ साययधम्मदोहा-देवसनम्त । अधिकल हिन्दी अनुवाद, भूमिका, शब्द
कोश, परिशिष्ट, टिप्पणी और अनुक्रमणिका सहित प्रो. हीरालाल जैन,
एम्. ए., एल एल. पी., द्वारा सम्पादित । मूल्य २॥) Dr. E. J. Rapson, Cambridge University.
* The excellont vocabulary together with the clear anil conrise account of the phonology and grammar of I pabhrausa in your introduction will enable students of Prakrit to inaster the difficulties of the language accuratoly anil intelligently.' ३ पाहुडदोहा-रामसिंह मुनिकृत । मूल्य २i) ४ करकण्टचरिउफनकामर कृत । अंग्रेजी अनुवाद, भूमिका, पान्दकोश,
टिप्पणी, परिशिट आदि सदित, प्रो. हीरालाल जैन, एम्. ए., एल एल. पी., द्वारा सम्पादित । भूमिका में ग्रंथ की अनेक महत्वपूर्ण एतिहासिक बातों पर प्रकाश डाला गया है। तेरापुर की गुफानों के एक दर्जन चित्र भी दिये गये हैं। परिशिष्ट में प्राकृत और पाली भाषा में कररुण्इ की कथाएँ सानुवाद उन की गई है। मूल्य ६)
संस्थापक और प्रकाशक गोपाल अम्बादास चवरे
कारंजा (घरार)
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