________________
कीजिये
टिप्पणी
३८. इस दोहे का भगवद्गीता के निम्न वाक्य से मिलान
सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज । अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः ॥ १८, ६६.
१०९
३९. मोक्ष प्राभृत की ५० वीं गाया की टीका में श्रुतसागर ने निम्न दोहा उद्धृत किया है
----
जीवा जिणवर जो मुणइ जिणवर जीव मुणेइ । सो समभावपरिट्टियउ लहु णिव्वाणु लहेइ ॥
6
४०. अनुवाद में जिणु' कर्ता कारक में लिया गया है। उसे कर्म कारक में लेकर निम्न प्रकार अनुवाद किया जा
सकता है । ' ( कोई कहता है ) जिन को जानो, जिन को जानो' । इसी प्रकार दोहा नं ४१ में भी किया जा सकता है ।
४२. अनुवाद में प्रथम पंक्ति का संस्कृत रूपान्तर इस प्रकार लिया गया है—
' उत्पलानि दृष्ट्वा करभ: ( गजशावः ) दाम मोचयति यथा चरति ' । उक्त पंक्ति का रूपान्तर निम्न प्रकार भी किया जा सकता है-' उत्पल्याणय योगिन् करभकं (उष्ट्रं ) दाम मुञ्च यथा चरति ' । अर्थात् ' हे जोगी, ऊँट पर पलान रख और उसका बन्धन छोड जिससे वह आगे चले ' । किन्तु दूसरी पंक्ति के भाव के अनुसार