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________________ विणास - 'इ-विनाशयति ७५. विणास - विनाश २१९, विणिम्मिय - विनिर्मित २५, ११७, चिणु - विना ५५. विष्णि - द्वि ४३, ४९.२१३. वित्थर - विस्तार २०७. विद्ध - ( तत्सम ) १५७. विपिल्लिअ - विप्रेरित १६७. विप्फुर - वि + स्फुर् इ 'ति २४,६५. शब्दकोश विवोह - विबोध ८२,१६७ विभाविय - ०त ७५. विभिण्ण - विभिन्न २६,४०. विमीलिय - विमिश्रित ६७. वियप्प - विकल्प ६५, ११०, १४२. वियप्पडा - विकल्प + डा १३३. वियप्पिअ -- विकल्पित ५६. वियाण -- वि+ज्ञा, ०णु-विजानीहि ७९. वियाल -- विकाल ( विगतकाल, अन्त ) १८२. विरल -- ( तत्सम ) १०३, १२७. विरोलिय - विलोडित १४७. ( मन्ये घुसल - चिरोलौ, हेम, ४,१२१. विलिज - 'इ. विलीयते १४, १७६. ९७ विल्लडिय - वलि + का ११२. विल्लि - वही १७४ (देखो वेलि). विवज्जि - विवर्जित २५,७२, ७६ आदि. विवरिr - विपरीत २५. विवरेर विपरीत १२५, १२९. विविह - विविध १६८. विस - विप १५,२०. विसज्जण - विसर्जन १३६. विसम - विपम ११२, १८९. विसय - विषय ३, ४ आदि. विसहर - विपधर २०. विसाअ - विवाद ४८. विसेस - विशेष २०, ३१, २०७० विहअ - विभव १३८. विहडिय - विघटित ७३,१८७ विहत्थ - विहस्त, विहीन (१) - ८६. विहाण - विधान १५१. विहीण - विहीन ५५,१४७. विण - विहीन ३८. विंझ - विन्ध्य (पर्वत) १५५ . वीसमिय - विश्रामित ११५. वीसारिज्ज - ' इ-विस्मार्यते ५०० वीहअ -- विभीत ७४. वुञ्च व्रज् ' इ-व्रजति १६८. वणणहं - वातुम् १०८ (ft. gaar),
SR No.010430
Book TitlePahuda Doha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBalatkaragana Jain Publication Society
Publication Year1934
Total Pages189
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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