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करिय वाणारिय नियकरे, पत्र दिक्खिया सीस आयरिय राउ | मालारोपण कि सुपवच थापिया वहुय सघाहिवा ए ||४८ | आगम लक्खण तरक भणेवि करिय, पडित घणा सीस जेण । दिण पणवीस परमाण निय आउ जाणि सुह झाणि गय चडिय तेण ४६ ॥ करिय सलेहणा पनर उपवास सोलमइ अणसण उच्चरी ए । पनर पणवीस वइसाख बदि पतु पर्चामहि सुहगुरु सुरपुरीए ॥५०॥
वीस पर्णादण तव सुकृत भर सभव, उल्लासिय तेय तनु गुरुवराण | जाणु रवि मडल दिप्पइ निग्मल, आउ पुज्जति जह सिरि जिणाण ॥ ५१ ॥
अणमण सीधउ तव मुरेहि किद्धउ कउतिग जडिय जिणहर कमाडि | दिवस दिवा किया लोक अवलोकिया, तक्खण वार पयड उघाडि ॥ ५२ ॥
हिवसिरि कित्तिरयणमूरि पाय थुमि पूजउ सुगुरु वुद्धि । वीरमपुरि जह ठवण जिणराय जेम हुइ तुम्ह सम्मत सुद्धि ||५३ || एह वीवाहलउ जो भणइ भावि तसु मणोवछय दे इदो । भत्त, सिरि कित्तिरयणमूरि पाय सीस तसु कहइ कल्लाणचदो || ५४ ॥
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