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नवम भग
[ नेमिनाथमहाकाव्यम्
मैं समझता हूँ कि उसके चरणो के गेन्दयं की शोभा ने पराजित कमल अव भी भय से कांपता हुआ वन मे रहता है ॥१६॥
उसके रूप के सौन्दर्य से पराजित देवागनाएँ लज्जित-सी होकर लोगों को अपना मुंह नही दिखाती ॥५७।।
वह महिलायो के उज्ज्वल तथा प्रशस्त गुणों से, जिनमें रूप, प्रेम, लज्जा तथा सुशीलता मुख्य थे, इस प्रकार व्याप्त थी जैसे चन्द्रकला किरणो से ॥५८!
यदुश्रेष्ठ श्रीकृष्ण ने अपने वन्धुओ के साथ उग्रसेन से उस सुकुमारी युवती को नेमिकुमार के लिये मागा ॥५॥
उग्रसेन ने भी, जिमकी आंखें प्रसन्नता से खिल उठी थी, कहा कि हम तो इस बात के कथन मात्र से आनन्दित हो गये ।।६०॥
सत्पुरुषो का सम्बन्ध तो दूर, उनकी बात भी अतीव आनन्द देती है। चन्द्रमा तो दूर, चाँदनी ही चकोरो को प्रसन्न कर देती है ।।६१॥
हे माधव | हम दोनो के सम्बन्ध के बीच यदि यह सम्बन्ध (भी) हो जाए, तो मैं मानगा कि खोर मे खाण्ड मिल गयी है ।।६२॥
मकुमारी राजीमती कुमार अरिष्टनेमि को देता है । रोहिणी और चन्द्रमा की भांति इनका मिलन कल्याणकारी हो ॥१३॥
तव यह सुन्दर सम्बन्ध हो जाने पर दोनो ही सम्बन्धियो ने अपना कार्य आरम्भ किया जैसे जल - और वीज अकुर के लिये अपना काम करते हैं ।।६४॥
हर्प रूपी जल के सागर भोजदेश के राजा उग्रसेन ने अपने मन्त्रियो ___ को वार-बार आदेश दिया कि विवाह के लिये जो-जो वस्तुएं चाहियें, जाप
उन सबको अभी तैयार करो ॥६॥