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नेमिनाय-चरित्र पूछा:- हे भाता! कुछ दिनोंसे तुम उदास क्यों रहती हो"
देवकीने खिन्नता-पूर्वक उत्तर दिया :-"यह मेरा अहो भाग्य है, जो मेरे सभी पुत्र अब तक जीवित हैं, परन्तु मुझे इतनेहीसे सन्तोष नहीं हो सकता। तुम नन्दके गोकुलमें पड़े हुए और तुम्हारे छ: भाई सुलसाके यहाँ लालित-पालित हुए हैं। मुझे तो कोयलकी भाँति अपने एक भी पुत्रका लालन-पालन करनेका सौभाग्य प्राप्त न हुआ~मैंने अपने एक भी पुत्रको स्तन-पान न कराया। हे कृष्ण ! इसीलिये मेरे हृदयमें एक पुत्रकी इच्छा उत्पन्न हुई है। मैं तो उन पशुओंको भी धन्य समझती हूँ जो अपने बच्चोंको खिलाते हैं। सात पुत्रोंकी माता होकर भी मैं मातृत्वके इस स्वगीय सुखसे वंचित रह गयी।" __माताके यह वचन सुनकर कृष्णने उसे सान्त्वना देते हुए कहा :--''हे माता ! आप धैर्य धारण करें। मैं आपकी यह इच्छा अवश्य पूर्ण करुगा।"
इतना कह, कृष्ण माताके पाससे चले आये। इसके