________________
६७०
नेमिनाथ चरित्र
राजा, क्षत्रिय धर्मको भूलकर एक साथ ही अर्जुनसे युद्ध करने लगे। इसी समय सहदेव शकुनिसे, भीम दुःशासनसे, नकुल उलूकसे, युधिष्ठिर शल्यसे, पाण्डव पुत्र दुर्मर्षणादिक छः योद्धाओंसे और बलरामके पुत्र अन्यान्य राजाओं से भिड़ गये ।
अर्जुन पर दुर्योधन और उसके संगी राजाओंने एक साथ ही अगणित वाणोंकी वृष्टि की, किन्तु अर्जुनने क्षणमात्रमें उन सबको कमलनालकी भाँति काट डाला । इसके बाद अर्जुनने दुर्योधन के सारथीको मार डाला, रथ और अश्वको छिन्न भिन्न कर डाला और उसका चख्तर भूमिपर गिरा दिया । इससे अंगशेष दुर्योधन बहुत ही लजित हुआ और उछल कर शकुनिके रथ पर जा बैठा। इसके बाद अर्जुनने कासि प्रभृति दस राजओं पर बाणवृष्टि कर उन्हें भी उसी तरह व्याकुल बना दिया, जिस तरह ओलेकी मारसे हाथी व्याकुल हो उठता है ।
बाणसे राजा युधिष्ठिरके
इसपर युधिष्ठिरने शर
शल्यको इससे बड़ा ही
उधर राजा शल्यने एक
।
रथ की पताका छेद डाली सहित उसका धनुष छेद डाल
।
"
"