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नेमिनाथ-चरित्र महानेमिसे युद्ध आरम्भ किया । रुक्मी जिस जिस धनुषको उठाता, उसीको महानेमि छैद डालते। इस प्रकार रुक्मीके क्रमशः इक्कीस धनुष उन्होंने काट डाले। इससे उसने ऋद्ध होकर उन पर कौवेरी नामक गदाका वार किया, किन्तु महानेमि कुमारने उसे आग्नेय बाणसे भस्म कर डाला। इससे रुक्मी और भी कुढ़ उठा। इसवार उसने मेधकी भाँति लाखों बाणोंकी दृष्टि करनेवाला विरोचन बाण छोड़ा, किन्तु महानेमिने माहेन्द्र पाणसे उसे भी रोक दिया। इसकेबाद उन्होंने एक दूसरा बाण छोड़ा, जिससे रुक्मीके ललाटमें गहरा जख्म हो गया और वह शिर पकड़ कर वहीं बैठ गया। उसकी यह अवस्था देखकर वेणुदारी उसे तुरन्त शिविरमें उठा ले गया। - इसके बाद. विविध शस्त्रोंकी वर्पाकर महानेमिने उन सात राजाओंको भी परेशान कर डाला । समुद्रविजयने राजा द्रुमको, स्तिमितने भद्रराजको और अक्षोभ्यने वसुसेनको यम पुरी भेज दिया । सागरने पुरिमित्रको, हिमवानने धृष्टद्युम्नको, धरणने अष्टक नृपको,