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चौदहवा परिच्छेद
६०७ देखकर वे कहने लगे :-"आप यह क्या दिल्लगी कर रहे हैं। मुझे सत्यभामाके साथ रुक्मिणीके केश लेने मेजा और आप स्वयं मेरे पहले ही वहाँ पहुँच गये। फिर, न वहाँ जाते देरी, न यहाँ आते देरी! मेरे वापस आनेके पहले ही आप भी यहाँ वापस आ गये! रुक्मिणीके यहाँ आपको देखकर मेरे साथ साथ वेचारी सत्यभामा भी लजित हो गयी !" __बलरामके यह वचन सुनकर कृष्ण बड़े ही चक्करमें पड़ गये। वे शपथ-पूर्वक कहने लगे कि :--'मैं वहाँ नहीं गया, तुम मुझपर क्यों संदेह करते हो।" यह सुनकर वलराम तो शान्त हो गया; किन्तु सत्यभामाको जरा भी विश्वास न हुआ। वह ऋधित होकर कहने लगी कि :-"यह सब तुम्हारी ही माया है !" यह कहती हुई वह अपने महलको चली गयी। कृष्ण इससे बड़े असमंजसमें पड़ गये और वे उसके भवनमें जाकर उसे समझाने बुझाने और अपनी सत्यता पर विश्वास कराने लगे। , इधर रुक्मिणीके वहाँ नारदने आकर उससे कहा