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तेरहवाँ परिच्छेद
५३१ रानियोंसे विवाह किया, वे उनकी आठ पटरानियोंके नामसे विख्यात हुई।
एकदिन रुक्मिणीके यहाँ अतिमुक्तक मुनिका आगमन हुआ। उन्हें देखकर सत्यभामा भी वहाँ आ पहुँची। रुक्मिणीने मुनिसे चन्दना कर पूछा कि :-"हे भगवन ! मुझे पुत्र होगा या नहीं ?" इसपर मुनिराजने आशीर्वाद देते हुए कहा-'हॉ, तुझे श्रीकृष्णके समान एक सुन्दर और बलवान पुत्र होगा!" । ____ यह सुनकर रुक्मिणी बहुत प्रसन्न हुई। उसने भोजनादि द्वारा मुनिका सत्कार कर, बड़े सम्मानके साथ उनको विदा किया। उनके चले जाने पर सत्यभामाने रुक्मिणीसे कहा कि मुनिराजने तो मेरी ओर देखकर कहा था, कि तुझे कृष्णके समान पुत्र होगा, इसलिये पुत्रकी माता बनने का सौभाग्य मुझे ही प्राप्त होगा । यह सुन रुक्मिणीने कहा-"नहीं, मुनिराजने तो मेरे प्रश्नके उत्तरमें मुझसे ही वह वात कही थी। तुम छल कर रही हो, इसलिये तुम्हें कोई लाभ न होगा।"
अन्तमें इस विवादका निर्णय करानेके लिये वे