________________
४९८
नेमिनाथ चरित्र
और परिवारको लेकर समुद्र के किनारे पश्चिम दिशाको चले जाइये 1 यहाँसे प्रस्थान करते ही आपके शत्रुओंका नाश होना आरम्भ हो जायगा । आपलोग जब तक अपनी यात्रामें वरावर आगे बढ़ते जायें, तब तक सत्यभामा दो पुत्रोंको जन्म न दे। इसके बाद जहाँ वह दो पुत्रोंको जन्म दे, वहीं आपलोग नगर बसाकर बस जायें। ऐसा करने पर कोई भी आपका बाल बाँका न कर सकेगा और उत्तरोत्तर आपका कल्याण ही होता जायगा ।"
यह सुनकर राजा समुद्रविजय बहुतही प्रसन्न हुए । उन्होंने उसी दिन डुग्गी पिटवा कर अपने प्रयाणकी घोषणा करवा दी। इसके बाद मथुरा नगरीसे अपने ग्यारह कोटि वन्धुवान्धवोंको साथ लेकर वे शौर्यपुर गये और वहाँ सात कोटि यादवोंका दल विन्ध्याचलके मध्यभागमें होकर पश्चिम दिशाकी ओर आगे बढ़ा। राजा उग्रसेनने भी मथुरामें रहना उचित न समझा, इसभूलिये वे भी उन्हीं के साथ चल दिये ।
उधर राजा सोमने राजगृहीमें जाकर, समुद्रविजयकी
•