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दसवी परिच्छेद
४५६ ऊखलसे वाँध दिया। इतना करने पर उन्हें विश्वास हो गया कि कृष्ण अब उस स्थानको छोड़कर और कहीं नहीं जा सकते. इसलिये वे पड़ोसिनके यहाँ चली गयीं। श्रीकृष्णको अकेले देखकर उसी समय सूर्पकका पुत्र अपने दादाका बदला चुकानेके लिये वहाँ आ पहुंचा। उसने श्रीकृष्णके दोनों ओर दो अर्जुनके वृक्ष उत्पन्न किये। इसके बाद कृष्णको ऊखल समेत पीस डालनेके लिये वह विद्याधर उन्हें उन दोनों वृक्षोंके बीचमें ले गया। परन्तु उसके कुछ करनेके पहले ही, कृष्णकी रक्षाके लिये वहाँ जो देवता नियुक्त था, उसने उन दोनों वृक्षोंको उखाड़ डाला और उस विद्याधरको मारकर वहाँसे खदेड़ दिया। उस समय वहाँ कोई उपस्थित न था, किसीको भी यह भेद मालूम न हो सका। ___ थोड़ी देरमें कुछ ग्वाल-चाल खेलते हुए वहाँ आ पहुंचे, उन्होंने उन वृक्षोंको देखकर समझा कि कृष्णने ही उन वृक्षोंको उखाड़ डाला है। वे तुरन्त यशोदाकें पास दौड़ गये। उन्होंने यशोदासे कहा' :-"कृष्णने .