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नेमिनाथ-चरित्र ___ साधुओंने कहा :-"हॉ, यह योग्य है। इसे दीक्षा देनेमें कोई आपत्ति नहीं है।" यह कहते हुए मुनिराज पिङ्गलको उसी समय देव-मन्दिरमें ले गये और वहॉपर उन्होंने उसे यथाविधि दीक्षा दे दी। ____ उधर कई दिनोंके बाद दमयन्तीके पिता भीमरथने सुना कि धूत क्रीड़ामें नलका सारा राज्य कुबेरने जीत लिया है और राज्य जीतनेके वाद उसने नलको अपने देशसे निकल जानेकी आज्ञा दे दी है। उन्होंने यह भी सुना कि दमयन्तीको साथ लेकर नल जंगलमें चले गये हैं, किन्तु इसके बाद उन दोनोंका क्या हुआ, यह आज तक किसीको मालूम नहीं हो सका। ___ महलमें जाकर राजाने यह समाचार अपनी रानी पुष्पदन्तीको सुनाया। पुष्पदन्ती अपनी पुत्री और दामादकी चिन्तासे अधीर और व्याकुल होकर रोदन करने लगी। राजा भीमरथको भी कम दुःख न हुआ था। किन्तु वे जानते थे कि विपत्ति कालमें जो मनुष्य धैर्य से काम लेता है, वही अन्तमें सुखी होता है। उन्होंने रानीको भी समझा बुझाकर शान्त किया।