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नेमिनाथ चरित्र अठारहवें दिन उस महिषकी मृत्यु हो गयी। तत्पश्चात बाइसवें दिन मृगध्वजको केवल ज्ञान उत्पन्न हुआ। इस अवसर पर अनेक सुर, असुर, विद्याधर और राजाओंने 'उनकी सेवामें उपस्थित हो उन्हें वन्दन किया और उन्होंने सबको धर्मोपदेश दिया। उपदेश समाप्त होनेपर राजा जितशत्रुने पूछा :--हे प्रभो! उस महिषके साथ आपका कौन ऐसा र था, जिससे आपने उसका पैर काट डाला था ?"
केवलीने इस प्रश्नका उत्तर देते हुए कहा :-"एक समय इस देशमें अश्वग्रीवं नामक एक अर्ध चक्रवर्ती राजा था। उसके मन्त्रीका नाम हरिश्मश्रु था। वह नास्तिक था, इसलिये सदा धर्मकी निन्दा किया करता था और राजा आस्तिक था, इसलिये वह सदा धार्मिक कार्यों का आयोजन किया करता था। इस प्रकारके विरोधी कार्यों से उन दोनोंका विरोध उत्तरोत्तर बढ़ता ही गया। अन्तमें वे दोनों त्रिपृष्ठ और अचल द्वारा मारे गये और सातवें नरकके अधिकारी हुए। वहाँसे निकलकर वेदोनों नजाने कितनी योनियोंमें भटकते रहे।