________________
१६८ ।
नेमिनाथ चरित्र आज विवाहका मुहूर्त बहुत ही अच्छा है। आप इसी समय मेरे साथ चलिये, और उसका पाणिग्रहण कर उसकी मनोकामना पूरी कीजिये।
बुढ़ियाका यह प्रस्ताव सुनकर वसुदेव चिन्तामें पड़ गये। उन्होंने कुछ अनिच्छापूर्वक कहा :-"इस समय तो मैं तुम्हारी बातका कोई उत्तर नहीं दे सकता। सुबह तुम मेरे पास आना, उस समय मैं तुम्हें अपना निश्चय सूचित करूंगा।" ____ वसुदेवके इस उत्तरसे वह बुढ़िया तुरन्त समझ गयी, कि वे इस प्रसंगको टालना चाहते हैं। परन्तु वह आसानीसे उनका पीछा छोड़ना न चाहती थी। उसने कुछ रोषपूर्वक कहा :-'अच्छी बात है, मैं जाती हूँ। अब या तो मैं ही आपके पास आऊँगी या आपही मेरे पास आयेंगे।" । इतना कह वह बुढ़िया वहाँसे चली गयी । वसुदेवने भी बुढ़ियाकी उपेक्षा कर उसकी बातको अपने मस्तिष्कसे निकाल दिया। किन्तु कुछ दिनोंके बाद ग्रीष्म ऋतुमें, जब एक दिन वसुदेव जल-क्रीड़ा कर गन्धर्वसेनाके साथ