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छठा परिच्छेद विद्वानोंपर विजय प्राप्त की थी। एक दिन याज्ञवल्क्य नामक एक परम विद्वान तपस्वी उनके वासस्थानमें आ पहुँचे। सुभद्रा और सुलसाने उनसे भी शास्त्रार्थ किया, किन्तु उसमें उन दोनोंकी पराजय हुई, इसलिये अपनी प्रतिज्ञानुसार वे दोनों उनकी दासी बन गयीं। इनमेंसे सुलसा अभी युवती थी। उधर याज्ञवल्क्य भी युवक थे। इसलिये नित्यके समागमसे उन दोनोंके हृदयमें विकार उत्पन्न हो गया और वे पति-पत्नीकी भॉति दाम्पत्य जीवन व्यतीत करने लगे। इससे सुलमा शीघ्रही गर्भवती हो गयी। गर्भकाल पूर्ण होनेपर उसने एक पुत्रको जन्म दिया।" ___ संसारमें पाप करना जितना सहज होता है, उतना उसे छिपाना सहज नहीं होता। बच्चा हो जानेपर सुलसा और याज्ञवल्क्य लोकनिन्दाके भयसे कॉप उठे। उन्हें जल्दीमें कुछ भी सूझ न पड़ा, इसलिये वे उस . वालकको एक पीपलके नीचे छोड़कर कहीं भाग गये। इधर कुछही समयके वाद सुलसाकी बड़ी वहिन सुभद्राने उस बालकको पीपलके नीचे देखा। देखतेही