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________________ - - - - - - - - अब वहमो गुमां कर दूर जरा क्यों मूरतसे घबराता है ।। २ ।। क्या पानी मिट्टी आग हवा क्या वादल बिजली पाला है। क्या बारिश ओले नहर समन्दर क्या दरिया क्या नाला है। • क्या सूरज चन्दर तारा हैं क्या सूरजका गंजयाला हैं। क्या नीला पीला लाल गुलाबी क्या धोला क्या काला है।। सब खेल बना है मूरतका यह नजर तुझे जो आता है ॥ अब वहमो गुमां कर दूर जरा क्यों मूरतसे घबराता है ॥३॥ क्या फूल हजारी फुलवारी क्या सुंदर केशर क्यारी है। क्या गैंदा मरवा मौलसरी क्या जुई चम्बेली प्यारी है। क्या लहा मलमलं बेल जरी क्या खद्दर धोती सारी है ।। क्या खट्टा मीठा तेज कसैला क्या कड़वा क्या खारी है ।। सब खेल बना है मूरतका यह नजर तुझे जो आता है ॥ अब वहमो गुमां कर दूर जरा क्यों मूरत से घबराता है ॥ ४ ॥ क्या लालच गुस्सा नफरत है क्या दशा फरेव औरमक्कारी॥ क्या रहम मोहब्बत कुलफत कीना और तआस्सुब अय्यारी।। गो सब माहे की सूरत हैं है रूह सभी सेती नियारी ॥ पर न्यामत जैसी देखे मूरत वेसा अप्सर पड़े कारी ।। । सब खेल बना है मूरतको यह नज़र तुझे जो आता है। अब वहमो गुमां कर दूर जरा क्यों मूरतसे घबराता है ।।५।। - - - - चाल-कहां ले जाऊ दित दोनो जहां में इसकी मुशकिल है। दिल दुनिया कैसी कारगर हर शय की सूरत है। - - % 3D - - -
SR No.010425
Book TitleMurti Mandan Prakash
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages43
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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