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शाला.
श्रीजिनेन्द्रायनमक (न्यामत सिंह रचित जैन ग्रंथ माली-अंक ३)
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मूर्ति मंडन प्रकाश
(अर्थात् ) जैन भजन पुष्पांजली
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(प्रथम भाग-मूर्ति मंडन निर्णय )
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चाल-कहां लेजाऊ दिल दोनो जहां में इसकी मुशकिल है ॥ श्री जिनराजकी तसबीरका कुछ ध्यान पैदा कर ॥ दिले पुर दर्द में बैरागका सामान पैदा कर ॥ १ ॥ जरा करके दरश जिनराजकी तू शान्त मूरतका ॥ तमन्ना जिसकी मुदत्तसे है वह निर्वाण पैदा कर ॥२॥ भटकता किस लिये फिरता है क्यों इतना परीशां है । अगर कुछ काम करना है तो बस औसान पैदा कर ॥३॥ छोड़दे सब गलत मसले मसायल ज्ञान पैदा कर॥ श्री अरिहंतकी बातों का तू ईमान पैदा कर ॥ ४॥ न समझा मैं को तूने गैर को समझा हुवाहै मैं ॥
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