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सन्देश
सरसेठ, कैप्टन श्री भागचन्द जी सोनी
अजमेर
मूलतान नगर के निवासियो के साथ मेरा पत्र-व्यवहारात्मक प्राचीन सम्पर्क रहा है और मैं उनकी धार्मिक रुचि व गतिविधियो से परिचित हूँ। देश के विभाजन के बाद आई अभूतपूर्व आकस्मिक महान विपत्ति, जिसमे मुलतानी धर्म बन्धुओ को अपना सर्वस्व छोडना पडा । परम पूज्य प्रतिमाओ को स्थानान्तरण करना साधारण कार्य नही था। किन्तु वहा की धर्मप्रिय, अगाधशृद्धालु जैन समाज ने अपनी सारी शक्ति लगाकर अदम्य उत्साह के साथ उन्हे जयपुर लाकर विराजमान ही नहीं किया किन्तु उन्हे एक ऐसे विशाल, भव्य, पावन, मनोहर जिनालय मे चिरस्थायी कर भक्तिमान धर्मात्माओ के इतिहास में एक ऐसी नवीन कडी जोड दी जिसे आगामी पीढी आदर्शरूप मे स्मरण करती रहेगी।
श्री महावीर कीर्तिस्तम्भ धर्मोद्योत का कारण होकर चिरकाल तक जैन धर्म की प्रभावना करता रहेगा यह सुनिश्चित है ।
में मलतान दिगम्बर जैन समाज के उत्साह व लगन की सराहना करता ह तथा उन समारोहो की सफलता चाहता हुआ यह धर्मायतन चिरकाल तक धर्म-बन्धमओ के आत्म-कल्याण का निमित्त बने और सर्व मुलतानी वन्धुओ का सर्वप्रकार से उत्कर्ष हो यही कामना करता हूँ।
भागचन्द सोनी