________________
हम शिखर सम्मेद में जायस्यां जी, माया री सुहावा जी रो पुत्र हो। हम बीस तीर्थकर पूजस्यां जी, देवा पूजन रो चाव हो ॥२॥
हम गढ गिरनार जी जायस्यां जी, माया री शिवा जी रो पुत्र हो। हम नेमिनाथ देव जुहारस्यां जी, हम पहले गमत्यां पूजस्यां जी,
___ हम पावापुर मे जायस्यां जी, माया री त्रिशला जी रो पुत्र हो । हम वर्धमान देव जुहारस्यां जो, हम पहले गमत्यां पूजरया जी,
हम गढ़ मुलतान मे जायस्यां जी, माया री वामा जी री पुत्र हो। हम पारसनाथ देव जुहारस्यां जी, हम पहले गमत्यां पूजसा जी,
हम पंच महाविदेह जायसां जी, माया री सुहावा जी रो पुत्र । हम विहरमान वीसो वंदसां जी, हम पहले गमत्यां पूजसा जी
हम पंच महाविदेह जायसां जी, माया री सुहावा जी रो पूत । हम आचारज गुरु वंदसां, हम उपाध्याय गुरु वंदसां जी,
हम पहले गमत्यां पूजसा जी, हम करमा भूमि जायसां जी, मायारी सुहावा जीरो पूत । हम गुरु निरग्रन्थ वन्दसां जी, हम पहले गमत्यां पूजसां जी।
(5) सखी डेरे दिगम्बर सैली मे मंगल । पहले बधावे पंच पद नमो, जिस नमत्यां ये लखिये पंच पद सार। मोह मिथ्यात डेरे होवे; ज्ञान लायरो केवल सिद्धकार
सखी डेरे दिगम्बर बीजे बधावे जिन बिम्ब नमू, कृताकृत्रम ऐ तीनो लोक मई सार।।
सुर नर पूर्जे भावसू, जिन पूजें सदा जय जयकार । सखी डेरे दिगम्बर . . अगले बधावे जिनवाणी नमो, वाणी सुनत्यां भवि जना, पालो सखी सत तत्व । सहिते षद्रव्य नव पदा, हो लखिये उपाध्याये लहिये निर्मल बोध ॥३॥
सखी डेरे दिगम्बर मोय ये भव भव सुखकार, सखी जी का उत्तम ऐ अच्छो चारो सरना, जव सज सभान ॥४॥ सखो डेरे दिगम्बर सैली में मंगल हो । पचवें वधावे रत्नत्रय नमो,
वैवर निश्वय ऐ सदा, उपाध्या भारषट् सिर्फ विवेकी प्रानिया, भेदाभेद ए निज वस्तु निहार । सखी डेरे दिगम्बर
छठे बधावे श्रावक श्राविका, नित वदये एकेदश विधि धार । सखी चारो विधि दान जे करें, लाभो ऐ जैसे शुद्ध प्राचार। सखी डेरे दिगम्बर सखी सातवें बधावे भो भावना, भावन भाताऐ भवि जन भलो। सखी सरफ दिवस मुझ आज है, ऐ गुण गावे ऐ मैं अपने काज ॥७॥
सखी डेरे दिगम्बर .
-
मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक में