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________________ मुलतान दिगम्बर जैन समाज के मत्री श्री जयकुमार जैन समाज के नहीं अपितु सम्पूर्ण जयपुर जैन समाज मे जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता है । आपका जन्म श्री प्रेमचदजी सिगवी सुपुत्र श्री कर्मचदजी एव पौत्र श्री मोतीरामजी सिंगवी के यहा विक्रम संवत् 1981 सन् 1924 ई० मे डेगगाजीखान (पश्चिमी पाकिस्तान ) मे हुआ। कितु इनके नाना श्री चौथरामजी के कोई पुत्र नही होने के कारण इन्हे बचपन से ही अपने पास रखा और बाद मे दत्तक पुत्र वना लिया। जिससे जयकुमार के जीवन पर उनके धार्मिक विचारो का विशेष प्रभाव पड़ा। सन् 1939 मे स्कूल की शिक्षा समाप्त कर आप व्यवसाय मे लग गये तो भी आप मे श्री जयकुमार जैन धार्मिक कार्यो की अभिरुचि का विकास उत्तरोत्तर होता रहा और युवावस्था मे ही जैन सिद्धात का भी अच्छा ज्ञानार्जन कर या तथा जैन युवक नगठन में भी आप अधिक सक्रिय रहे। .... पाकिस्तान बनने के पश्चात् भारत आने पर सर्वप्रथम आप दिल्ली रहे, किन्तु व्यवसाय मे विशेप सफलता न मिलने पर सन 1951 मे सपरिवार जयपुर आकर व्यवसाय करने लगे। विम परिस्थितियो मे भी आपकी अभिरुचि धार्मिक कार्यो मे विशेष रही। आदर्शनगर मे दिगम्बर जैन मदिर के शिलान्यास के पश्चात् इसके निर्माण में सप रुचि लेने एव सहयोग देने तथा सामाजिक समस्याओ को सुचारु रूप से दिशा किरा पा, तभी से एक दो वर्ष छोडकर प्राय निरतर मत्री पद पर मनोनीत होते हुए समाज काया में अधिक से अधिक समय देकर समस्त कार्यों को सुचारु रूप से कार्यान्वित करते आ रहे हैं। विना किसी विशेषज्ञ से पूर्व प्रारूप तैयार कराये विशाल भव्य एव कलापूर्ण जिन मादर आदि भवनो का निर्माण कार्य अपने साथियो के सहयोग से पूर्ण कराना आपकी कुशल दक्षता का हो प्रतीक है। [ 105 • मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के मालोक मे
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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