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एक आदर्श जैन समाज
प० प्रकाश हितैषी शास्त्री
सम्पादक सन्मति सन्देश, दिल्ली 37
सुलतान दिगम्बर जैन समाज की धर्मरुचि का परिचय इससे मिलता है कि आज से करीब, 220 वर्ष पूर्व मुलतान जैन समाज ने उस समय के महान दार्शनिक विद्वान पर प्रवर टोडरमलजी से आत्मानुभव सम्बन्धी सूक्ष्म प्रश्न किये थे । पाकिस्तान बनने के बाद वही मुलतात दिगम्बर जैन समाज प० टोडरमलजी की धर्मभूमि जयपुर मे और कुछ बन्धु दिल्ली मे आकर बस गये हैं ।
इस समाज से मेरा सम्बन्ध सन् 1960 से है । जब मैंने उनके विशेष आग्रह पर दशलक्षण पर्व मे लाल मन्दिर मे इसी समाज के समक्ष लगातार 3 वर्ष तक धर्म-प्रवचन किये थे । कुछ वर्षों तक प्रति रविवार को डिप्टीगज के दिगम्बर जैन मन्दिर मे मुलतान समाज मे शास्त्र प्रवचन भी करता रहा हूँ। जयपुर मे वसी मुलतान जैन समाज मे दशलक्षण पर्व मे शास्त्र-प्रवचन करने का भी सुअवसर मिला है। जिससे उनकी रुचि और आचार विचार को बहुत निकट से जानने का सुअवसर प्राप्त हुआ है।
। ये सभी जहा अपने स्वतन्त्र व्यवसायो मे निष्ठात है, वहीं पर इनकी धर्मरुचि, एकता, व उदारता भी प्रशसनीय है । आदर्शनगर जयपुर का बनाया गया इनका दिगम्बर जैन मन्दिर इतना विशाल और आकर्षक है कि निकट भविष्य में इसकी गणना सास्कृतिक धरोहर के अतिरिक्त दर्शनीय स्थल के रूप मे हो जायगी । कई लाख का लागत से निर्माणित यह जैन मन्दिर एव कीर्तिस्तम्भ इनकी उदारता एन तीव्र धर्मरुचि का ही परिचायक है।
इनमे परस्पर मे इतनी एकता और प्रेम है कि थोडे से इशारे से ही ये सब एक स्थान पर एकत्रित हो जाते हैं तथा जब ये पूजा भक्ति मे तन्मय होते हैं तब भक्तिरस की ऐसी पावन गगा बह उठतो है जिसमे प्रत्येक भक्त उस गगा मे स्नान कर कृत्कृत्य हो उठता है । एक लय एक स्वर मे साज वाज के साथ जब ये पूजन भक्ति करते है तो कोई भी व्यक्ति इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता । इनकी तत्व की रुचि भी प्रेरणादायक है । प्रतिदिन की पूजन के बाद इनकी नियमित शास्त्र सभा होती है, उसमे गहरो तत्वचर्चा चलती है । त्यागी, व्रती और विद्वानो का ये समुचित सम्मान करते हैं। इनकी विशेषता यह भी है कि आज के किसी गुट विशेष मे बटे हुए नही हैं । सबकी सुनते हैं और जो उचित समझते है, उसे ग्रहण करते हैं।
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• मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक में