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दिल्ली में मुलतान दिगम्बर जैन समाज
मुलतान एव डेरागाजीखान से आये हुए ओसवाल दिगम्बर जैन वन्धु व्यवसाय की दृष्टि से दिल्ली मे रहने लगे, और वहाँ अपने को पुनर्स्थापन हेतु विभिन्न प्रकार के व्यवसाय में दिन रात एक करके कठिन परिश्रम से उसको आगे बढाने मे जुट गये । तथा उसमे सभी ने अच्छी प्रगति की और अपने जीवन स्तर को काफी ऊँचा ले गये ।
व्यवसाय मे इतनी उन्नति की कि वह अपने-अपने व्यवसाइयो मे अग्रणी के रूप मे माने जाने लगे । जैसे-जैसे समय आगे बढा निवास के लिए भी लोगो ने अपने मकान आदि बनाने मे सफलता प्राप्त की और अव प्राय समाज के सभी परिवारो ने अपने-अपने स्तर के अनुसार बहुत अच्छे-अच्छे सभी आधुनिक सुविधा से परिपूर्ण निवास स्थान वना लिए है और सुख शान्ति से सभी बन्धु जीवन यापन कर रहे हैं, उनमे से कई परिवार तो बहुत आगे बढ गये हैं ।
जहाँ भौतिकता मे वे बहुत आगे वढे वहाँ अपने पूर्वजो से मिले संस्कारो से धार्मिक प्रवृत्तियो मे भी सदैव उल्लास एवं उत्साह के साथ तत्पर रहे ।
मी का परिणाम है कि दिल्ली मे रहते हुए भी जैसा कि पूर्व पृष्ठो मे बताया गया है मुलतान दिगम्बर जैन मन्दिर आदर्शनगर जयपुर के निर्माण मे जयपुर मुलतान दिगम्बर जैन समाज के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर मुलतान दिगम्बर जैन समाज दिल्ली ने पूरा तन-मन-धन से सहयोग देकर मन्दिर को विशाल, भव्य एव मुन्दर रूप देने मे सहयोग दिया और इसकी वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव तथा समय-समय पर होने वाले सिद्ध चक्र विधान महोत्सव एव अन्य उत्सवो आदि के समयो पर सामूहिक रूप से जयपुर आकर उन सभी कार्यक्रम को सफल बनाने मे अपना हर सम्भव योग दिया ।
श्री दिगम्बर जैन लाल मन्दिर चाँदनी चौक लाल किले के सामने डेगगाजीखान मे लाई हुई चोवीस तीर्थकरो की 24 सर्व धातु की एवं अन्य कुछ मूर्तियां विराजमान है । प्रतिवर्ष आनेवाले पर्वाधिराज दशलक्षण पर्व को बडे उत्साह एवं उल्लाम से माथ मनाया जाता है जहाँ अलग वेदी बनाकर प्रात: 8 बजे से 103 बजे तक बड़ी भक्तिभाव व सुर ताल के साथ सामूहिक पूजन होती है जो सभी के लिए आकर्षण का केन्द्र बन जाती है, और बाहर से कोई न कोई विद्वान बुलाया जाना है जो 12 बजे तक शास्त्र प्रवचनते है । जिनमें पूरी नमाज के छोटे-बडे स्त्री- पुम्प बच्चे आदि सभी तन्मयता मे भाग के तत्वज्ञान से धर्मोपाजन कर आत्मिक शान्ति प्राप्त करते है |
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• नान दिगम्बर जैन समाज - इतिहास के बाली में
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