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इस औपधालय से प्रति वर्प निम्न लिखित संख्या मे रोगियो ने लाभ उठाया :वर्प
रोगी सख्या 1977-78
18,673 1978-79
24,723 1979-80
27,048 इस प्रकार प्रति वर्ष अधिक से अधिक लोग इस औपधालय से लाभान्वित होकर स्वास्थ्य प्राप्त कर रहे है।
इस औषधालय भवन मे चार कक्ष हैं, सर्व प्रथम कक्ष मे रोगियो का प्रतीक्षालय आधुनिक सुविधाओ से सुसज्जित है जिसमे रोगियो को बैठने के लिये कुर्सिया लगी हुई है तथा कमरे के मध्य मे एक बडी टेविल लगी हई है जिस पर दैनिक पत्र पत्रिकाए, धार्मिक साहित्य एव आरोग्य सम्बन्धी पत्रिकाए तथा पुस्तिकाए रखी हुई हैं, जिससे रोगी वहा वठकर प्रतीक्षा की अवधि मे उपलब्ध साहित्य का अवलोकन करके अपने समय का सदुपयोग करते है।
दूसरे कक्ष मे श्री वैद्यराजजी बैठते हैं जहा रोगियो का निदान करके औषधि पत्र बनाया जाता है। इसी कमरे मे औषधि वितरण कक्ष भी है, जहा से रोगी औषधि प्राप्त करते हैं।
तीसरे कक्ष मे शैय्याये लगी हई है जहां रोगियो को बिठाकर पेट आदि की आंतों का शालिकरण द्वारा असाध्य रोगो का उपचार किया जाता है, तथा इसी कमरे मे एक अलग रक्त मल मत्र कक्ष आदि का मशीनो द्वारा परीक्षण किया जाता है, तथा लेबोरेटरी के रूप मे यह कक्ष एलोपैथिक पद्धति पर आधुनिक मशीनो आदि से सुसज्जित किया हुआ है। . महावीर कल्याण केन्द्र की विशेष बात यह है कि यहा केवल रोगियो का उपचार हा नहीं होता बल्कि यहा आरोग्य एन आध्यात्म विषय पर व्याख्यानमालाओ के आयोजन भी किए जाते है । यह कार्यक्रम मास मे एक बार तो अवश्य ही रखा जाता है तथा आने वाले पवा पर विशेष आयोजन किए जाते है, जिसमे प्रमुख विद्वानो एन विशेपज्ञो को समय-2 पर नामन्त्रित कर उनके व्याख्यान कराये जाते है, तथा ध्यान आदि का भी अभ्यास कराया जाता है । इसके अतिरिक्त आध्यात्मिक उपदेश गीत एन प्रार्थनाए आदि से शान्ति प्रप्ति हेतु साधना की जाती है।
__ इन सभी गतिविधियो के मुख्य सूत्रधार वैद्य रत्न श्री सुशील कुमारजी है, जो समय-समय पर नये नये विद्वतगण विशेषज्ञो से एव विशिष्ट महानुभावो को लाकर इन सारे कार्यक्रमो को सफल बनाते हैं।
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• मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक मे