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सूत्र |
शब्द
अध्याय
सूत्र
(य)
३५ | यथाख्यात चारित्र
८
शरद
अध्याय मनोवार गुप्ति मनोयोगदुष्प्रणिधान मनःपर्ययज्ञान मनःपर्ययज्ञानावरण मनोज्ञ मरणाशंसा मलपरीपहजय महाव्रत मायाक्रिया मात्सर्य
| यशः कीर्ति याचना परीपह जय योग
योग संक्रांति
रति
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रसपरित्याग रहोभ्याख्यान रूपानुपाक रोगपरीषहजय
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मार्गप्रभावना माध्यस्थ मायाशल्य मिथ्यात्व क्रिया मिथ्यात्वशल्य मिथ्योपदेश मिथ्यादर्शन मिथ्यात्व प्रकृति मुक्ति
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लब्धि लब्धि लब्ध्यपर्याप्तक लिग लेश्या
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लोकपाल
लोकानुप्रेक्षा लोभप्रत्याख्यान लोकान्तिकदेव
मूलगुण निर्वर्वना मूर्छा मृपानन्दी रौद्रध्यान मैत्री मोक्ष मोक्ष मोहनीय मौखये म्लेच्छ
४ वर्धमान
वर्तना ४] वचनयोग
| वनाराच संहनन । ३६ ।